तरबूज - खरबूज फसल पर कीट और रोगों का आक्रमण - उपचार

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तरबूज / खरबूज फसल पर कीट और रोगों का आक्रमण - उपचार

तरबूज / खरबूज फसल पर कीट और रोगों का आक्रमण - उपचार
तरबूज / खरबूज फसल पर कीट और रोगों का आक्रमण - उपचार 


खरबूज की फसल पर विभिन्न कीटों और रोगों का प्रभाव बढ़ रहा है। इससे फसलों को बचाने के लिए किसानों को सावधान रहने की आवश्यकता है। साथ ही, वर्तमान परिस्थितियों में कृषि कार्य के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।

कीटों की रोकथाम

1. लाल कीट

  • हानिकारक प्रभाव: प्रौढ़ और ग्रव हानि पहुँचाते हैं।

  • नियंत्रण उपाय:

    • मैलाथियान 5 या कार्बारिल 5: 25 किलोग्राम चूर्ण को सुबह के समय बुरकाव करें।

    • मैलाथियान 50 ईसी: 1.5 मिलीलीटर/लीटर पानी में मिलाकर 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें।

    • कार्बारिल 50: 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

2. फल मक्खी

  • हानिकारक प्रभाव: मैगट फलों को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे फल टेढ़ा हो जाता है।

  • नियंत्रण उपाय:

    • पहले छतिग्रस्त फलों को नष्ट करें।

    • मैलाथियान 50: 20 मिलीलीटर + 200 ग्राम गुड़ या चीनी को 20 लीटर पानी में मिलाकर 1 एकड़ में छिड़काव करें।

    • कार्बरिल: 1 ग्राम का छिड़काव करें।

प्रमुख रोग और उनके बचाव के उपाय

1. चूर्णिल आसित

  • लक्षण: पत्तियों और तनों पर सफेद या धूसर धब्बे; कुछ दिनों बाद चूर्ण के रूप में बदल जाते हैं।

  • रोकथाम के उपाय:

    • कैलिकसनी: 7.5 मिलीलीटर प्रति टंकी का छिड़काव करें।

    • सल्फैक: 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

2. मृदुरोमिल आसित

  • लक्षण: पौधों का विकास रुक जाता है।

  • रोकथाम के उपाय:

    • मेंकोजेब: 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

3. मौजेक वायरस

  • लक्षण: एफिड कीट के कारण फैलता है; पौधों का विकास रुक जाता है, पत्तियों पर पीलापन।

  • रोकथाम के उपाय:

    • इमिडाकलोप्रिड 17.8 एसएल: 7.5 मिलीलीटर प्रति टंकी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

निष्कर्ष

इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी खरबूज की फसल को कीट और रोगों से बचा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए फसल सुरक्षा वैज्ञानिक से संपर्क करें।


क्या इन कीटों और रोगों के लिए कोई जैविक नियंत्रण उपाय हैं?


बिल्कुल! खरबूज की फसल पर होने वाले कीटों और रोगों के जैविक नियंत्रण उपाय भी उपलब्ध हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं:

जैविक नियंत्रण उपाय

1. लाल कीट

  • जैविक नियंत्रण:

    • नीम का तेल: नीम का तेल कीटों के खिलाफ प्रभावी है। 5-10 मिलीलीटर नीम का तेल प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

    • जैविक कीटनाशक: जैसे कि बैसिलस थुरिंजिएंसिस (BT), जो कीटों के लार्वा को नियंत्रित करता है।

2. फल मक्खी

  • जैविक नियंत्रण:

    • फेरोमोन ट्रैप: फल मक्खियों को आकर्षित करने के लिए फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।

    • फलों का नाश: संक्रमित फलों को जल्दी नष्ट करें ताकि मक्खियों का प्रकोप कम हो सके।

3. चूर्णिल आसित

  • जैविक नियंत्रण:

    • दूध का घोल: 1:10 अनुपात में पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़कें। यह कवक को नियंत्रित करने में मदद करता है।

    • बायोफंजिसाइड: जैसे कि ट्राईकोडर्मा, जो फफूंद से लड़ने में मदद करता है।

4. मृदुरोमिल आसित

  • जैविक नियंत्रण:

    • जैविक फफूंदनाशक: जैसे कि विर्डीविज़ेप्ला या ट्राईकोडर्मा, जो मिट्टी में मौजूद फफूंदों को नियंत्रित करते हैं।

5. मौजेक वायरस

  • जैविक नियंत्रण:

    • पौधों की विविधता: फसल चक्र अपनाएँ और विभिन्न फसलों को मिलाकर लगाएँ। यह कीटों और रोगों के प्रसार को रोकने में मदद करता है।

    • एफिड के प्राकृतिक शत्रु: जैसे कि लेडीबर्ड बीटल और लार्वा, जो एफिड कीटों को नियंत्रित करते हैं।

निष्कर्ष

इन जैविक उपायों को अपनाकर किसान खरबूज की फसल को कीट और रोगों से सुरक्षित रख सकते हैं। जैविक नियंत्रण उपाय न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बनाए रखते हैं।


क्या जैविक उपायों के साथ रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है?


हाँ, जैविक उपायों के साथ रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

संयोजन के लाभ

  1. संवेदनशीलता: जैविक उपायों से कीटों की संवेदनशीलता बढ़ाई जा सकती है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की मात्रा कम करने में मदद मिलती है।

  2. सुरक्षा: जैविक उपायों का उपयोग करने से फसल की सुरक्षा बढ़ती है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है।

  3. समग्र नियंत्रण: विभिन्न प्रकार के नियंत्रण उपायों का संयोजन अधिक प्रभावी हो सकता है, जिससे कीटों और रोगों का समुचित प्रबंधन किया जा सके।

उपयोग के समय

  • प्रारंभिक नियंत्रण: जब कीटों की संख्या कम हो, तो जैविक उपायों का प्राथमिकता से उपयोग करें।

  • प्रकोप के समय: यदि कीटों या रोगों का प्रकोप अधिक हो जाए, तो रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।

सावधानियाँ

  1. दवा का चयन: रासायनिक कीटनाशक का चयन करते समय ऐसे उत्पाद चुनें जो जैविक खेती के साथ संगत हों।

  2. मात्रा का ध्यान: रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करते समय उनकी मात्रा का सही ध्यान रखें ताकि फसल और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

  3. समय का ध्यान: रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग फसल की कटाई से पहले उचित समय पर करें ताकि उत्पादों में अवशेष न रहें।

निष्कर्ष

जैविक उपायों के साथ रासायनिक कीटनाशकों का संयोजन फसल की सुरक्षा में मदद कर सकता है, लेकिन सावधानी बरतना आवश्यक है ताकि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।


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